हरिद्वार: अध्यात्म, ऐतिहासिक धरोहर और पौराणिकता का द्वार

 

हरिद्वार: अध्यात्म, ऐतिहासिक धरोहर और पौराणिकता का द्वार

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Haridwar हरिद्वार, जिसे "भगवान का द्वार" भी कहा जाता है, भारत के सबसे प्रतिष्ठित आध्यात्मिक स्थलों में से एक है। उत्तराखंड राज्य में स्थित यह प्राचीन शहर सांस्कृतिक, ऐतिहासिक और पौराणिक महत्त्व से परिपूर्ण है। यहां की शाम की गंगा आरती, प्राचीन मंदिर, और शांतिपूर्ण आश्रम आत्मा को शांति और मन को तृप्ति प्रदान करते हैं। हरिद्वार केवल एक धार्मिक स्थल है, बल्कि यहां का ऐतिहासिक और प्राकृतिक सौंदर्य भी पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है। यह लेख आपको हरिद्वार के 14-15 मुख्य आकर्षणों, उनके पौराणिक और ऐतिहासिक पहलुओं, और अन्य महत्त्वपूर्ण जानकारियों से रूबरू कराएगा।


Haridwar हरिद्वार का पौराणिक महत्व

हिंदू धर्मग्रंथों के अनुसार, हरिद्वार उन चार पवित्र स्थानों में से एक है, जहां समुद्र मंथन के दौरान अमृत की बूंदें गिरी थीं। इस कारण यह स्थान कुंभ मेले की मेज़बानी करता है, जो दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक उत्सव है। गंगा नदी, जो इस शहर के बीचों-बीच बहती है, पापों को धोने और आत्मा को शुद्ध करने का प्रतीक मानी जाती है। ऐसा कहा जाता है कि भगवान विष्णु के चरण चिह्न हर की पौड़ी पर स्थित एक पत्थर पर अंकित हैं। यहां के घाट, मंदिर और आश्रम हरिद्वार के धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व को दर्शाते हैं।


हरिद्वार में घूमने की 15 सर्वश्रेष्ठ जगहें

1. Har Ki Pauri हर की पौड़ी

निर्माण: पहली सदी ईसा पूर्व, राजा विक्रमादित्य द्वारा।

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हर की पौड़ी, जिसका अर्थ है "भगवान शिव के चरण," हरिद्वार का सबसे प्रसिद्ध घाट है। यहां भगवान विष्णु के चरण चिह्न एक पत्थर पर अंकित माने जाते हैं। शाम की गंगा आरती, जिसमें सैकड़ों दीयों को गंगा में प्रवाहित किया जाता है, दिव्यता का अद्भुत अनुभव कराती है। हर की पौड़ी का ऐतिहासिक और धार्मिक महत्त्व इसे हरिद्वार का सबसे मुख्य आकर्षण बनाता है।

पौराणिक कथा: यह स्थान वह है, जहां भगवान शिव और विष्णु ने पृथ्वी पर अपने चरण रखे थे। कहा जाता है कि इस स्थान पर गंगा में स्नान करने से सभी पाप धुल जाते हैं।

क्या करें: गंगा आरती में भाग लें, गंगा में पवित्र स्नान करें, और घाट के पास की भीड़भाड़ वाली बाजारों को घूमें। यहां के स्थानीय प्रसाद और हस्तशिल्प खरीदने का अवसर चूकें।


2. Mansa Devi Temple मनसा देवी मंदिर

निर्माण: 19वीं सदी।

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बिल्वा पर्वत की चोटी पर स्थित यह मंदिर देवी मनसा को समर्पित है। कहा जाता है कि देवी मनसा भक्तों की सभी इच्छाओं को पूरा करती हैं। भक्त एक पवित्र पेड़ पर धागा बांधते हैं और उनकी इच्छाएं पूरी होने पर उसे खोलते हैं। यह मंदिर हरिद्वार आने वाले श्रद्धालुओं के लिए एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है।

पौराणिक कथा: देवी मनसा भगवान शिव के मस्तिष्क से प्रकट हुई थीं और वे इच्छाओं को पूर्ण करने की शक्ति रखती हैं।

क्या करें: उडन खटोला (केबल कार) से मंदिर तक पहुंचें, मंदिर की वास्तुकला को निहारें, और प्रार्थना करें। यहां से पूरे हरिद्वार का दृश्य देखना एक अनोखा अनुभव है।


3. Chandi Devi Temple चंडी देवी मंदिर

निर्माण: 8वीं सदी, आदि शंकराचार्य द्वारा।

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नील
पर्वत पर स्थित यह मंदिर देवी चंडी को समर्पित है। यहां देवी ने शुंभ और निशुंभ नामक राक्षसों का वध किया था। इसे भारत के प्रमुख शक्ति पीठों में गिना जाता है। इस मंदिर तक पहुंचने के लिए ट्रेकिंग का अनुभव या केबल कार का आनंद लिया जा सकता है।

क्या करें: पहाड़ी पर चढ़ाई करें या केबल कार लें, शहर के मनोरम दृश्य का आनंद लें, और आध्यात्मिक अनुष्ठानों में भाग लें। मंदिर के आसपास के प्राकृतिक सौंदर्य का अनुभव करें।


4. Daksha Mahadev Temple दक्ष महादेव मंदिर

निर्माण: प्राचीन, लेकिन 1810 में रानी धनकौर द्वारा पुनर्निर्मित।

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यह मंदिर राजा दक्ष प्रजापति को समर्पित है, जो देवी सती के पिता और भगवान शिव के ससुर थे। यहां दक्ष यज्ञ का आयोजन हुआ था, जिससे संबंधित कई पौराणिक घटनाएं हुईं। मंदिर का शांत वातावरण इसे एक आदर्श धार्मिक स्थल बनाता है।

पौराणिक कथा: यज्ञ में सती के आत्मदाह के कारण शक्ति पीठों का निर्माण हुआ। यह स्थान शिव और सती की कथा से गहराई से जुड़ा हुआ है।

क्या करें: महाशिवरात्रि के दौरान भव्य अनुष्ठानों का अनुभव करें और मंदिर के आसपास की धार्मिक गतिविधियों में भाग लें।


5. Shantikunj Ashram शांतिकुंज आश्रम

स्थापना: 1971, पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य द्वारा।

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शांतिकुंज अखिल विश्व गायत्री परिवार का मुख्यालय है और ध्यान, योग, और आत्म-सुधार के लिए प्रसिद्ध है। यह आध्यात्मिक साधकों के लिए शांति का केंद्र है।

क्या करें: ध्यान सत्रों में भाग लें, आध्यात्मिक कार्यशालाओं में हिस्सा लें, और आश्रम की हरियाली का आनंद लें। यहां का अनुशासित वातावरण आत्मिक शांति प्रदान करता है।


6. भारत माता मंदिर

निर्माण: 1983, स्वामी सत्यमित्रानंद गिरी द्वारा।

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यह अनूठा मंदिर भारत माता को समर्पित है। इसकी आठ मंजिलें भारत की सांस्कृतिक, ऐतिहासिक, और आध्यात्मिक धरोहर को प्रदर्शित करती हैं। हर मंजिल भारत के किसी किसी पहलू को दर्शाती है।

क्या करें: प्रत्येक मंजिल के प्रदर्शन को देखें, जहां स्वतंत्रता सेनानियों, देवी-देवताओं, और ऐतिहासिक व्यक्तित्वों की मूर्तियां हैं।


7. पतंजलि योगपीठ

स्थापना: 2006, बाबा रामदेव द्वारा।

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योग और आयुर्वेद के लिए एक वैश्विक केंद्र, पतंजलि योगपीठ अपने आप में आधुनिकता और परंपरा का अनोखा मिश्रण है। यहां योग सीखने और आयुर्वेदिक चिकित्सा का लाभ उठाने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं।

क्या करें: योग कक्षाओं में शामिल हों, आयुर्वेदिक डॉक्टरों से परामर्श लें, हर्बल गार्डन देखें, और जैविक उत्पाद खरीदें।


8. राजाजी नेशनल पार्क

स्थापना: 1983

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820 वर्ग किलोमीटर में फैला यह वन्यजीव अभ्यारण्य हाथियों, बाघों, तेंदुओं, और पक्षियों की विभिन्न प्रजातियों का घर है। यह प्रकृति प्रेमियों और फोटोग्राफरों के लिए स्वर्ग है।

क्या करें: जंगल सफारी पर जाएं, प्रकृति की सैर करें, और अद्भुत वन्यजीवों की तस्वीरें खींचें। यह स्थान बच्चों के साथ परिवारों के लिए भी उपयुक्त है।


9. नील धारा पक्षी विहार

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यह जगह पक्षी प्रेमियों के लिए स्वर्ग है, खासकर सर्दियों में जब प्रवासी पक्षी यहां आते हैं। गंगा के मनोरम दृश्य इसे और खास बनाते हैं।


10. माया देवी मंदिर

निर्माण: 11वीं सदी।

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हरिद्वार की अधिष्ठात्री देवी माया को समर्पित यह प्राचीन मंदिर तीन सिद्धपीठों में से एक है।

पौराणिक कथा: यह स्थान वह है, जहां देवी सती का हृदय और नाभि गिरे थे।

क्या करें: प्रार्थना करें और मंदिर की ऐतिहासिक वास्तुकला को देखें। यह स्थान श्रद्धालुओं के लिए विशेष महत्व रखता है।


11. वैष्णो देवी मंदिर

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जम्मू के प्रसिद्ध वैष्णो देवी मंदिर का यह प्रतिरूप गुफा जैसी संरचना और शांत वातावरण के लिए प्रसिद्ध है। यह देवी पार्वती को समर्पित जम्मू के प्रसिद्ध वैष्णो देवी मंदिर की प्रतिकृति है।

क्या करें: यह स्थान केवल धार्मिक है, बल्कि अपनी उत्कृष्ट कलात्मकता के लिए भी प्रसिद्ध है।


12. पावन धाम

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अपने जटिल कांच के काम और उत्कृष्ट मूर्तियों के लिए प्रसिद्ध, पवन धाम आध्यात्मिक और दृश्य आनंद दोनों है।

पावन धाम, हरिद्वार: कला, भक्ति और शांति का अद्भुत संगम

हरिद्वार, जो अपनी आध्यात्मिकता और धार्मिक स्थलों के लिए प्रसिद्ध है, वहाँ स्थित पावन धाम एक ऐसा अद्भुत स्थान है जो भक्ति, कला और संस्कृति का संगम प्रस्तुत करता है। हर की पौड़ी से मात्र 2.5 किमी की दूरी पर स्थित यह मंदिर, धार्मिक यात्रा पर निकले पर्यटकों के लिए एक अद्वितीय स्थान है।


पावन धाम का स्थान

पावन धाम हरिद्वार के ऋषिकेश रोड पर स्थित है। यह गीता भवन ट्रस्ट सोसाइटी द्वारा प्रबंधित है और अपने सामाजिक सेवा कार्यों के लिए भी प्रसिद्ध है। हर की पौड़ी और अन्य प्रमुख स्थलों के नज़दीक होने के कारण यहाँ पहुंचना काफी आसान है।

पावन धाम की विशेषताएँ

पावन धाम अपनी अद्भुत कांच की कलाकारी और अद्वितीय वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध है। यह पारंपरिक मंदिरों से अलग, कला और भक्ति का अनूठा उदाहरण प्रस्तुत करता है। मंदिर के अंदर की अद्भुत कांच की नक्काशी को देखें और भगवान कृष्ण की आराधना करें। यह मंदिर अपनी अद्वितीय कांच की नक्काशी और भव्य सजावट के लिए जाना जाता है। यहां भगवान कृष्ण और अन्य देवताओं की सुंदर मूर्तियां स्थापित हैं।

  1. आकर्षक कांच और शीशे का काम
    मंदिर के अंदरूनी हिस्से में हिंदू पौराणिक कथाओं को चित्रित करती रंगीन कांच की कलाकारी देखने को मिलती है। यह नज़ारा पर्यटकों और भक्तों को मंत्रमुग्ध कर देता है।
  2. देवताओं की मूर्तियाँ
    मंदिर में स्थापित देवी-देवताओं की मूर्तियाँ अत्यंत आकर्षक और जीवन्त लगती हैं। प्रत्येक मूर्ति के पीछे एक कहानी छिपी होती है, जो आध्यात्मिक चिंतन को प्रेरित करती है।
  3. शांतिपूर्ण वातावरण
    पावन धाम का शांत और पवित्र वातावरण ध्यान और आत्मिक शांति के लिए एक आदर्श स्थान है।

पावन धाम में क्या करें?

  1. मंदिर की कला का आनंद लें
    मंदिर की दीवारों और छतों पर की गई अद्भुत कांच की नक्काशी को देखें।
  2. भक्ति और पूजा
    मंदिर में पूजा-अर्चना करें और देवी-देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त करें।
  3. फोटोग्राफी
    मंदिर के अद्वितीय और रंगीन दृश्य फोटोग्राफी के लिए उत्तम हैं। हालांकि, फोटोग्राफी करते समय मंदिर के नियमों का पालन करें।

4.     पावन धाम जाने का सबसे अच्छा समय

5.      पावन धाम पूरे वर्ष खुला रहता है, लेकिन हरिद्वार की यात्रा के लिए सबसे अच्छा समय अक्टूबर से मार्च के बीच होता है। खासकर शाम के समय, जब मंदिर की रोशनी में इसका सौंदर्य और बढ़ जाता है।

 

पावन धाम केवल एक धार्मिक स्थल ही नहीं, बल्कि कला और भक्ति का ऐसा अद्वितीय संगम है, जो हर किसी को अपनी ओर आकर्षित करता है। चाहे आप एक भक्त हों, कला प्रेमी हों या एक पर्यटक, पावन धाम का अनुभव आपकी यात्रा को यादगार बना देगा। हरिद्वार की यात्रा में इस स्थान को ज़रूर शामिल करें।


13. भीमगोड़ा कुंड

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पौराणिक कथा: माना जाता है कि महाभारत काल में, भीम ने अपनी गदा से इस कुंड को बनाया था। यह स्थान महाभारत से जुड़े ऐतिहासिक और पौराणिक महत्व को दर्शाता है।

क्या करें: इस प्राचीन कुंड के पवित्र जल में स्नान करें और इसके आसपास की प्राकृतिक सुंदरता का आनंद लें।


14. गौरी शंकर मंदिर

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गंगा के तट पर स्थित यह छोटा लेकिन महत्वपूर्ण मंदिर भगवान शिव और देवी पार्वती को समर्पित है। यह स्थान आध्यात्मिक शांति और प्राकृतिक सौंदर्य का अद्भुत संगम है।

क्या करें: मंदिर में भगवान शिव और देवी पार्वती की पूजा करें और शांत वातावरण का अनुभव करें।


15. कनखल

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कनखल हरिद्वार का एक प्राचीन और पवित्र क्षेत्र है। यह स्थान दक्ष महादेव मंदिर और सती कुंड के लिए प्रसिद्ध है।

पौराणिक कथा: दक्ष महादेव मंदिर वह स्थान है, जहां राजा दक्ष ने यज्ञ का आयोजन किया था और सती ने आत्मदाह किया था।

क्या करें: दक्ष महादेव मंदिर और सती कुंड के दर्शन करें। इसके साथ ही कनखल के शांत वातावरण का आनंद लें।


हरिद्वार में ठहरने के स्थान

हरिद्वार में पर्यटकों के लिए हर बजट के अनुसार ठहरने की सुविधा उपलब्ध है। यहां कुछ प्रमुख स्थानों की सूची दी गई है:

  1. लक्ज़री होटल्स: जैसे होटल गंगा लेह और अंब्रेला होटल।
  2. मध्यम बजट होटल्स: जैसे होटल आलोक और होटल सिटी डिलाइट।
  3. आश्रम और धर्मशालाएं: जैसे शांतिकुंज और गीता भवन।

हरिद्वार के बाजार और स्थानीय खानपान

बाजार:

हरिद्वार के बाजार अपनी विशिष्टता के लिए प्रसिद्ध हैं।

  1. मोती बाजार: यहां से आप धार्मिक पुस्तकें, गंगा जल के कंटेनर और हैंडीक्राफ्ट खरीद सकते हैं।
  2. बड़ा बाजार: हस्तशिल्प और स्थानीय उत्पादों के लिए जाना जाता है।
  3. ज्वालापुर बाजार: यह जगह स्थानीय कपड़ों और ज्वेलरी के लिए प्रसिद्ध है।

खानपान:

हरिद्वार का भोजन शुद्ध शाकाहारी और स्वादिष्ट होता है।

  • प्रसिद्ध व्यंजन: कचौरी-सब्जी, चूरमा, आलू पूरी और लस्सी।

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  •  मिठाईयां: बाल मिठाई और गोंद के लड्डू।
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  • लोकप्रिय भोजन स्थान: मोहन पूरी वाला और हिंगवाले की कचौरी।

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हरिद्वार कैसे पहुंचें?

  1. हवाई मार्ग: निकटतम हवाई अड्डा जॉली ग्रांट एयरपोर्ट, देहरादून (35 किमी)
  2. रेल मार्ग: हरिद्वार रेलवे स्टेशन भारत के सभी प्रमुख शहरों से जुड़ा है।
  3. सड़क मार्ग: हरिद्वार दिल्ली, देहरादून और अन्य शहरों से बस और टैक्सी सेवाओं के माध्यम से आसानी से पहुंचा जा सकता है।

निष्कर्ष

हरिद्वार एक ऐसा स्थान है, जो धार्मिकता, पौराणिकता और प्राकृतिक सौंदर्य का अनोखा संगम प्रस्तुत करता है। यहां के मंदिर, घाट, आश्रम और वन्यजीव अभ्यारण्य पर्यटकों को केवल आध्यात्मिक अनुभव प्रदान करते हैं, बल्कि ऐतिहासिक और प्राकृतिक दृष्टिकोण से भी समृद्ध करते हैं। हरिद्वार की यात्रा आपके जीवन के सबसे यादगार अनुभवों में से एक होगी।

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